आयुर्वेदा अपनाये जीवन बनाए
Body detoxification
पहला नियम-
Body detoxification
त्योहारों में तरह-तरह का भोजन करने और उनमें कई बार लापरवाही के कारण शरीर को कभी-कभी शुद्धिकरण की जरूरत पड़ती है। यह शुद्धिकरण डिटॉक्सीफिकेशन के द्वारा किया जा सकता है, बता रही हैं शमीम खान
डिटॉक्स शब्द का अर्थ है शरीर के आंतरिक तंत्र को भोजन में मौजूद विषैले और दूसरे हानिकारक रसायनों से मुक्त करना। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अपने शरीर को महीने में एक बार तीन से पांच दिन के लिए डिटॉक्सीफाई करें। डिटॉक्स या डिटॉक्सीफिकेशन डाइट काफी लोकप्रिय है, लेकिन यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है।
वैसे आयुर्वेद और चायनीज मेडिसिन सिस्टम और संसार की कई संस्कृतियों में सदियों से इनका प्रचलन है- आराम करो, सफाई करो और अपने शरीर का पोषण करो। अपने शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने के बाद, उसे पोषक भोजन खिलाएं। डिटॉक्सीफिकेशन आपको बीमारियों से बचाता है और आपके स्वास्थ्य को बनाए रखने की क्षमता को पुनर्जीवित करता है। शरीर के हीलिंग सिस्टम को डिटॉक्सीफिकेशन बेहतर बनाता है।
डाइट प्लान
सबसे पहले तो टॉक्सिन का सेवन कम करें। अल्कोहल, कॉफी, सिगरेट, रिफाइंड शूगर और सैचुरेटेड फैट, ये सब शरीर में टॉक्सिन का कार्य करते हैं और शरीर की कार्यप्रणाली में बाधा डालते हैं।
सबसे पहले तो टॉक्सिन का सेवन कम करें। अल्कोहल, कॉफी, सिगरेट, रिफाइंड शूगर और सैचुरेटेड फैट, ये सब शरीर में टॉक्सिन का कार्य करते हैं और शरीर की कार्यप्रणाली में बाधा डालते हैं।
एक अच्छी डिटॉक्स डाइट में 60 प्रतिशत तरल और 40 प्रतिशत ठोस खाद्य पदार्थ होना चाहिए।डिटॉक्सीफिकेशन का पहला नियम है अपने शरीर को हाइड्रेड रखें।
जूस: ढेर सारे फलों जैसे तरबूज, पपीता और खीरे का जूस पिएं, लेकिन अंगूर का रस न पिएं, क्योंकि यह डिटॉक्स प्रणाली में रुकावट पैदा करता है।
सब्जियां: गहरी हरी पत्तेदार सब्जियों, फूलगोभी, पत्तागोभी और ब्रोकली को भोजन में प्रमुखता से शामिल करें। इनके अलावा प्याज भी एक अच्छा क्लीनजिंग एजेंट है। शलजम लीवर को डिटॉक्स करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीज में फ्लैक्स, सीसैम, सनफ्लावर और कद्दू काफी फायदेमंद हैं। फलों में पपीता और पाइन एप्पल क्लीनजिंग के लिए बहुत अच्छे हैं।
कैसे और कब
आदर्श रूप से किसी को तीन महीने में एक बार एक सप्ताह के लिए डिटॉक्स डाइट पर रहना चाहिए। अगर आप मोटे हैं तो हर वीकएंड पर डिटॉक्स कर सकते हैं। अगर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर है तो हर दो महीने में डिटॉक्स करें। अगर आप तनावभरी जिंदगी जी रहे हैं तो 15 दिन में एक बार डिटॉक्स जरूर करें। जब आप डिटॉक्स करें तो कैफीन, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें प्रिजर्वेटिव हो, चीनी और वसा युक्त जंक फूड का सेवन न करें। स्मोकिंग और शराब का सेवन भी न करें। लंबे समय तक डिटॉक्स डाइट पर न रहें, क्योंकि इससे शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है। इससे डीहाइड्रेशन भी हो सकता है।
आदर्श रूप से किसी को तीन महीने में एक बार एक सप्ताह के लिए डिटॉक्स डाइट पर रहना चाहिए। अगर आप मोटे हैं तो हर वीकएंड पर डिटॉक्स कर सकते हैं। अगर आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर है तो हर दो महीने में डिटॉक्स करें। अगर आप तनावभरी जिंदगी जी रहे हैं तो 15 दिन में एक बार डिटॉक्स जरूर करें। जब आप डिटॉक्स करें तो कैफीन, ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें प्रिजर्वेटिव हो, चीनी और वसा युक्त जंक फूड का सेवन न करें। स्मोकिंग और शराब का सेवन भी न करें। लंबे समय तक डिटॉक्स डाइट पर न रहें, क्योंकि इससे शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी हो जाती है। इससे डीहाइड्रेशन भी हो सकता है।
कैसे जानें कि शरीर में विषैले
तत्व जमा हो गए हैं
तत्व जमा हो गए हैं
आधुनिक जीवनशैली, शहरी परिवेश की दौड़भाग और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण ने लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है और हमारे शरीर में टॉक्सिन की मौजूदगी को बढ़ा दिया है। कुछ लक्षण हैं जिन पर नजर रख कर आप पहचान सकते हैं कि आपको डिटॉक्सीफिकेशन की जरूरत है।
थकान और कमजोरी महसूस होना।
हार्मोन संबंधी समस्या (मूड स्विंग)।
ध्यान केंद्रन की समस्या।
सिरदर्द और बदन दर्द।
त्वचा संबंधी समस्याएं।
पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं।
भार कम करने में समस्या होना।
कैसे कार्य करता है डिटॉक्सीफिकेशन
उपवास के द्वारा शरीर के अंगों को आराम पहुंचाता है।
शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने के लिए लीवर को प्रोत्साहित करता है।
किडनी, आंत और त्वचा से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है।
रक्त का परिसंचरण सुधारता है।
शरीर को स्वस्थ पोषक तत्वों से दोबारा भर देता है।
हार्मोन संबंधी समस्या (मूड स्विंग)।
ध्यान केंद्रन की समस्या।
सिरदर्द और बदन दर्द।
त्वचा संबंधी समस्याएं।
पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं।
भार कम करने में समस्या होना।
कैसे कार्य करता है डिटॉक्सीफिकेशन
उपवास के द्वारा शरीर के अंगों को आराम पहुंचाता है।
शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने के लिए लीवर को प्रोत्साहित करता है।
किडनी, आंत और त्वचा से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है।
रक्त का परिसंचरण सुधारता है।
शरीर को स्वस्थ पोषक तत्वों से दोबारा भर देता है।
डिटॉक्सीफिकेशन 10 टिप्स
ढेर सारा फाइबर खाएं, जिसमें ब्राउन राइस, ताजे फल और सब्जियां, चुकंदर, मूली, पत्तागोभी, ब्रोकली शामिल हों। ये डिटॉक्सीफिकेशन के बहुत अच्छे स्त्रोत हैं।
अपने लीवर को हर्बल टी या ग्रीन टी के द्वारा भी साफ कर सकते हैं।
विटामिन सी का अधिक मात्रा में सेवन करें, जो लीवर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मददगार होते हैं।
दिन में कम से कम चार लीटर पानी पिएं।
गहरी सांस लें, ताकि अधिक मात्रा में ऑक्सीजन शरीर में प्रवाहित हो।
सोना बाथ लें, ताकि पसीने के साथ व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकल सकें।
बेहतर नींद, सकारात्मक दृष्टिकोण, मस्तिष्क की स्पष्टता बनाए रखें।
असंतुलित भोजन, नकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण और शारीरिक निष्क्रियता से शरीर में टॉक्सिन इकट्ठा होने लगते हैं। इन सबसे बचने का प्रयास करें।
शाकाहारी भोजन लें। यह शरीर पर अधिक दबाव नहीं डालता।
जो लोग नियमित रूप से कैफीन या सोडा ड्रिंक लेते हैं, उनके शरीर में भी टॉक्सिन इकट्ठे हो जाते हैं। इनका सेवन बंद कर दें या बिल्कुल कम कर दें।
कैफीन का सेवन बंद करने से होने वाले सिरदर्द से निपटने के लिए अधिक मात्रा में विटामिन बी 5 का सेवन कर सकते हैं।
गर्म पानी में आधा नींबू निचोड़ कर पिएं। नींबू-पानी इस काम में बेहद फायदेमंद है। लेकिन यह ध्यान रखें कि इसमें कभी नमक या चीनी न मिलाएं।
त्रिफला भी एक अच्छा विकल्प है। हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच त्रिफला मिलाएं। आधा घुलने तक चम्मच से हिलाते रहें। छलनी से छान कर इसे पी लें।
एलोवेरा जूस शरीर से जहरीली चीजों को निकालने के लिए एक बेहतरीन साधन है। दो चम्मच एलोवेरा जूस को एक कप पानी में मिलाएं और दिन में दो बार पिएं।
अपने लीवर को हर्बल टी या ग्रीन टी के द्वारा भी साफ कर सकते हैं।
विटामिन सी का अधिक मात्रा में सेवन करें, जो लीवर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मददगार होते हैं।
दिन में कम से कम चार लीटर पानी पिएं।
गहरी सांस लें, ताकि अधिक मात्रा में ऑक्सीजन शरीर में प्रवाहित हो।
सोना बाथ लें, ताकि पसीने के साथ व्यर्थ पदार्थ शरीर से बाहर निकल सकें।
बेहतर नींद, सकारात्मक दृष्टिकोण, मस्तिष्क की स्पष्टता बनाए रखें।
असंतुलित भोजन, नकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण और शारीरिक निष्क्रियता से शरीर में टॉक्सिन इकट्ठा होने लगते हैं। इन सबसे बचने का प्रयास करें।
शाकाहारी भोजन लें। यह शरीर पर अधिक दबाव नहीं डालता।
जो लोग नियमित रूप से कैफीन या सोडा ड्रिंक लेते हैं, उनके शरीर में भी टॉक्सिन इकट्ठे हो जाते हैं। इनका सेवन बंद कर दें या बिल्कुल कम कर दें।
कैफीन का सेवन बंद करने से होने वाले सिरदर्द से निपटने के लिए अधिक मात्रा में विटामिन बी 5 का सेवन कर सकते हैं।
गर्म पानी में आधा नींबू निचोड़ कर पिएं। नींबू-पानी इस काम में बेहद फायदेमंद है। लेकिन यह ध्यान रखें कि इसमें कभी नमक या चीनी न मिलाएं।
त्रिफला भी एक अच्छा विकल्प है। हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच त्रिफला मिलाएं। आधा घुलने तक चम्मच से हिलाते रहें। छलनी से छान कर इसे पी लें।
एलोवेरा जूस शरीर से जहरीली चीजों को निकालने के लिए एक बेहतरीन साधन है। दो चम्मच एलोवेरा जूस को एक कप पानी में मिलाएं और दिन में दो बार पिएं।
डिटॉक्स डाइट के लाभ
इम्यूनिटी को सुधारता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है।
पाचन मार्ग की सफाई करता है।
रक्त को शुद्घ करता है।
त्वचा को चमकदार बनाए रखता है।
उत्तकों को नष्ट करने वाले फ्री रैडिकल्स को शरीर से बाहर निकालता है।
कैंसर और दूसरी बीमारियों के खतरे को कम करता है।
रक्त को शुद्घ करता है।
लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली को सुधारता है।
बुरी आदतों जैसे प्रोसेस्ड फूड, शूगर, कैफीन और शराब के सेवन पर नियंत्रण हो जाता है।
पाचन मार्ग की सफाई करता है।
रक्त को शुद्घ करता है।
त्वचा को चमकदार बनाए रखता है।
उत्तकों को नष्ट करने वाले फ्री रैडिकल्स को शरीर से बाहर निकालता है।
कैंसर और दूसरी बीमारियों के खतरे को कम करता है।
रक्त को शुद्घ करता है।
लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली को सुधारता है।
बुरी आदतों जैसे प्रोसेस्ड फूड, शूगर, कैफीन और शराब के सेवन पर नियंत्रण हो जाता है।
इन बातों को नजरअंदाज न करें
गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और जिन्हें थायराइड, लीवर और किडनी की समस्या हो, डिटॉक्स डाइट पर न जाएं।
जिन लोगों ने अंग प्रत्यारोपण करवाया हो, वह डिटॉक्स डाइट न लें।
बुजुर्गों और बच्चों को भी इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है।
जो लोग मल्टीविटामिन का सेवन कर रहे हैं, उन्हें डिटॉक्स के दौरान इनका सेवन बंद कर देना चाहिए।
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और हृदय की समस्याओं के रोगी डिटॉक्स के साथ इन दवाओं का सेवन जारी रख सकते हैं।
गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली महिलाएं और जिन्हें थायराइड, लीवर और किडनी की समस्या हो, डिटॉक्स डाइट पर न जाएं।
जिन लोगों ने अंग प्रत्यारोपण करवाया हो, वह डिटॉक्स डाइट न लें।
बुजुर्गों और बच्चों को भी इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है।
जो लोग मल्टीविटामिन का सेवन कर रहे हैं, उन्हें डिटॉक्स के दौरान इनका सेवन बंद कर देना चाहिए।
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, थायराइड और हृदय की समस्याओं के रोगी डिटॉक्स के साथ इन दवाओं का सेवन जारी रख सकते हैं।
जैन एवं हिन्दू शास्त्रों, आयुर्वेद और योग सभी यह मानते हैं कि सभी रोगों की जड़ है शरीर में जमी गंदगी। आप स्नान करके शरीर के बाहर की जमी गंदगी को तो साफ कर लेते हैं लेकिन शरीर के भीतर की गंदगी कैसे साफ होगी? आओ जानते हैं कि शरीर में जमी गंदगी भारतीय शास्त्रों के अनुसार बाहर कैसे निकाले।
विशेष- त्रिफला शरीर की गन्दगी निकालती है। 40 दिन तक त्रिफला रोज एक चम्मच खाली पेट लें और कमाल देखें।
कुछ जरूरी जानकारी- शरीर में सर्वप्रथम गंदगी तीन जगह पर जमती है। पहला आहार नाल में और दूसरा पेट में और तीसरा आंतों में। इन तीनों जगह यदि गंदगी ज्यादा समय तक बनी रही तो यह फैलेगी। तब यह किडनी में, फेंफड़ों में और हृदय के आसपास भी जमने लगेगी। अंत में यह खून को गंदा कर देगी। अत: इस गंदगी को साफ करना जरूरी है।
जो खाते हैं उसी से गंदगी पैदा होती है। हम क्या खा रहे हैं इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम दो तरह के खाद्य पदार्थ खाते हैं पहला वह जो हमें सीधे प्रकृति से प्राप्त होता है और दूसरा वह जिसे मानव ने निर्मित किया है। प्रकृति से प्राप्त फल और सब्जियां हैं। फल को पचने में 3 घंटे लगते हैं। सब्जियों को पचने में 6 घंटे लगते हैं।
उपरोक्त दोनों के अलावा मानव द्वारा पैदा किया गया, बनाया या उत्पादित किए गए खाद्य पदार्थों में आते हैं- अनाज, दाल, चना, चावल, दूध, मैदा, सोयाबीन आदि और इन्हीं से बने अन्य खाद्य पदार्थ। जैसे ब्रेड, सेंडविच, चीज, बर्गर, चीप्स, पापड़, आदि। इन सभी पदार्थों को पचने में 18 घंटे लगते हैं। अब आप सोचिए कि आपको क्या ज्यादा खाना चाहिए।
त्याज्य पदार्थ- चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बेसन, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि।
पहला नियम-
उपवास करें 16 घंटे का। जैसे यदि आप रात को आठ बजे भोजन करते हैं तो फिर अगले दिन सुबह 12 बजे ही भोजन करें। इस बीच आपको कुछ भी नहीं खाना या पीना है। सुबह पानी, नारियल पानी या सब्जी का ज्यूस पी सकते हैं। ऐसा करने लगेंगे तो शरीर स्थित नया-पुराना भोजन पूर्णत: पचकर बाहर निकलने लगेगा।
हमारे शास्त्रों में उपावस का बहुत महत्व है। चातुर्मास में उपवास ही किए जाते है। हिन्दू धर्म में संपूर्ण वर्ष में कई प्रकार के उपवास आते हैं, जैसे वार के उपवास, माह में दूज, चतुर्थी, एकादशी, प्रदोष, अमावस्या या पूर्णिमा के उपवास। वर्ष में नवरात्रि, श्रावण माह या चातुर्मास के उपवास आदि। लेकिन अधिकतर लोग तो खूब फरियाली खाकर उपवास करते हैं। यह उपावास या व्रत नहीं है। उपवास में कुछ भी खाया नहीं जाता।
दूसरा नियम-
धौति कर्म- महीन कपड़े की चार अंगुल चौड़ी और सोलह हाथ लंबी पट्टी तैयार कर उसे गरम पानी में उबाल कर धीरे-धीरे खाना चाहिए। खाते-खाते जब पंद्रह हाथ कपड़ा कण्ठ मार्ग से पेट में चला जाए, मात्र एक हाथ बाहर रहे, तब पेट को थोड़ा चलाकर, पुनः धीरे-धीरे उसे पेट से निकाल देना चाहिए। इससे आहार नाल और पेट में जमा गंदगी, कफ आदि बाहर निकल जाते हैं।
हिदायत- इस क्रिया को किसी योग्य योग शिक्षक से सीख कर ही करें। मन से ना करें। कुछ लोग नींबू और सैंधा नमक मिला पानी पीकर बाधी क्रिया अर्थात वमन क्रिया करके भी शरीर की गंदगी बाहार निकालते हैं।
तीसरा नियम-
बस्ती- योगानुसार बस्ती करने के लिए पहले गणेशक्रिया का अभ्यास करना आवश्यक है। गणेशक्रिया में अपना मध्यम अंगुली में तेल चुपड़कर उसे गुदा- मार्ग में डालकर बार-बार घुमाते हैं। इससे गुदा-मार्ग की गंदगी दूर हो जाती है और गुदा संकोचन और प्रसार का भी अभ्यास हो जाता है।
जब यह अभ्यास हो जाए, तब किसी होद या टब में कमर तक पानी में खड़े होकर घुटने को थोड़ा आगे की ओर मोड़कर दोनों हाथों को घुटनों पर दृढ़ता से रखकर फिर गुदा मार्ग से पानी ऊपर की ओर खींचे। आंत और पेट में जब पानी भर जाए तब पेट को थोड़ा इधर-उधर घुमाकर, पुनः गुदा मार्ग से पूरा पानी निकाल दें।
शंख प्रशालन- कुछ लोग इसकी जगह शंख प्रशालन करते हैं। प्रातःकाल नित्यक्रिया से निवृत्त हो गुनगुना पानी दो-तीन या चार गिलास पीने के बाद वक्रासन, सर्पासन, कटिचक्रासन, विपरीतकरणी, उड्डियान एवं नौली का अभ्यास करें। इससे अपने आप शौच का वेग आता है। शौच से आने पर पुनः उसी प्रकार पानी पीकर उक्त आसनादिकों का अभ्यास कर शौच को जाएं। इस प्रकार बार-बार पानी पीना, आसनादि करना तथा शौच को जाना सात-आठ बार हो जाने पर अंत में जैसा पानी पीते हैं, वैसा ही पानी जब स्वच्छ रूप से शौच में निकलता है, तब पेट पूरा का पूरा धुलकर साफ हो जाता है। इसके बाद कुछ विश्राम कर ढीली खिचड़ी, घी, हल्का-सा खाकर पूरा दिन लेटकर आराम किया जाता है। दूसरे दिन से सभी काम पूर्ववत करते रहें। इस क्रिया को दो-तीन महीने में एक बार करने की आवश्यकता होती है।
हिदायत- यह क्रिया किसी जानकार व्यक्ति के निर्देशन में ही करना चाहिए। इसके अभ्यास से आंतों में जमा गंदगी दूर होती है। विशेष लाभ यह है कि लिंग-गुदा आदि के सभी रोग सर्वथा समाप्त हो जाते हैं। कई लोग इसकी जगह एनिमा लेकर काम चला लेते हैं।
चौथा नियम-
गीली पट्टियां लगाना- इसे जल पट्टी कहते हैं। पेट पर, गले में और सिर पर सूती पट्टी को ठन्डे पानी में भिगोकर, निचोड़कर लपेटना। इससे रक्त का संचार ठीक तरह से चलता है जिसके चलते रक्त में जमा गंदगी बाहर हो जाती है। आयुर्वेद में तो सूत की गीली पट्टियों में मिट्टी लपेटकर उसे पेट में लपेटा जाता है जिससे पेट की गर्मी छंटती है और साथ ही कब्ज, पेचिस, अजीर्ण, गैस, कोलायिटिस, पेट की नयी-पुरानी सूजन, अनिद्रा, बुखार जैसे रोग भी दूर होते हैं। इससे पेट की चर्बी भी घटती है। यह स्त्रियों के गुप्त रोगों की रामबाण चिकित्सा है।
हितायत- पट्टी कैसे लपेटना, कितनी गीली और ठंडी होना चाहिए, किस मौसम में नहीं लपेटना चाहिए, यह सभी किसी जानकार से पूछकर ही करें।
शहद, नींबू और गर्म पानी
शरीर से सारे टॉक्सिन्स को निकालने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप सुबह-सुबह शहद और नींबू के साथ गर्म पानी पिएं. इससे शरीर में एसिडिटी का संतुलन भी बना रहता है. एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद और आधा नींबू निचोड़ें. अच्छी तरह से मिलाएं. हर सुबह इसे पिएं.
ग्रीन टी-
एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर ग्रीन टी भी शरीर से अनचाहे टॉक्सिन्स की सफाई करने में मदद करता है. इसमें कैटेचिन्स नाम का खास एंटीऑक्सिडेंट होता है जो लिवर के फंक्शन को दुरुस्त करता है.
अदरक-
अदरक को एंटी इन्फ्लैमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है. यह मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करने में मदद करता है और हमारे टॉक्सिन्स फ्लश करने के साथ लिवर के काम करने की क्षमता भी बढ़ाता है. आप अदरक का छोटा सा टुकड़ा खाएं या अपने खाने की चीजों में इस्तेमाल करें.
लहसुन-
लहसुन भी एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है और यह प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग एजेंट की तरह काम करता है. लहसुन में पाया जाने वाले एलिसिन में एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज भी होती है.
फाइबर युक्त चीजें-
शरीर से प्राकृतिक रूप से विषैली चीजें निकालने के लिए आपको अपनी डाइट में फाइबर युक्त चीजें जरूर शामिल करनी चाहिए जैसे- साबूत अनाज, सब्जियां औऱ फल. यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखने में मदद करता है.
एलोवेरा जूस-
एलोवेरा जूस में एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं जो शरीर से जहरीले रयासन हटाने में मदद करते हैं. रोज सुबह एलोवेरा जूस पिएं.
हल्दी
शरीर को डिटॉक्स करने के लिए आप हल्दी का ड्रिंक बनाकर पी सकते हैं। इसे बनाने के लिए 1 कप पानी में थोड़ी-सी हल्दी डालकर उबालकर ठंडा कर लें। इसके बाद इसमें शहद और कुछ बूँदें नीबू के रस की डालकर पीएं।
शरीर को डिटॉक्स करने के लिए आप हल्दी का ड्रिंक बनाकर पी सकते हैं। इसे बनाने के लिए 1 कप पानी में थोड़ी-सी हल्दी डालकर उबालकर ठंडा कर लें। इसके बाद इसमें शहद और कुछ बूँदें नीबू के रस की डालकर पीएं।
2. नींबू की चाय
डिटॉक्सिफिकेशन के लिए आप दिन में 3 बार नींबू वाली चाय बनाकर पीएं। नींबू में मौजूद विटामिन सी लीवर में मौजूद जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
डिटॉक्सिफिकेशन के लिए आप दिन में 3 बार नींबू वाली चाय बनाकर पीएं। नींबू में मौजूद विटामिन सी लीवर में मौजूद जहरीले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
तनाव से दूर रहें
जॉगिंग करें
नशे से दूर रहें
अधिक से अधिक पानी पीना
धूम्रपान, शरीब का सेवन न करना
नियमित व्यायाम और प्राणायाम करना
भरपूर नींद लें
तनाव से दूर रहें
जॉगिंग करें
नशे से दूर रहें
अधिक से अधिक पानी पीना
धूम्रपान, शरीब का सेवन न करना
नियमित व्यायाम और प्राणायाम करना
भरपूर नींद लें