आयुर्वेद में दिनचर्या
दिनचर्या के विषय में आत्रेय आदि महर्षियों ने इस प्रकार कहा था ।
उपक्रम :- दिनचर्या शब्द से रात्रीचर्या ,रीतुचर्या आदि का भी ग्रहण कर लिया जाता है। दिनचर्या शब्द में इतने अर्थ छिपे है, (दिने - दिने चर्या ,दिनस्थ चर्या किं वा दिनानां चर्या = दिनचर्या)
इस प्रकार परिभाषित करने पर उक्त सभी अर्थो का इसमें समावेश हो जाता है, इस लेख में हम उस आचरण के बारे मे बताएंगे जो लोगो के लिए दोनों लोकों मे हितकर होती है।
ब्रम्हामुहूर्त में जागने के लाभ
ब्रम्हामुहूर्त में जागना :- स्वस्थ (नीरोग) स्त्री - पुरुष को अपनी आयु को बढाने के लिए प्रात: काल ब्रम्हामुहूर्त में उठना चाहिए।।
उस समय वातावरण स्वतः शांत एवं ऑक्सीजन से भरपुर होता है। जिससे हमारे शरीर मे खुशी देने वाले हॉरमोन्स निकलते है, और हमे खुशी का अहसास होता है
ब्रम्हामुहूर्त का समय
इसका समय रात के पिछले पहर की दो घऱी या दो दऩ्ड।
समय 4:30 - 5:30 का समय
ब्रम्हामुहूत में व्यायाम करने करने के लाभ
१). दिमाग को अधिक oxygen मिलता है।
२). शरीर की मांशपेशियॉ पुष्ट बनती है।
३). वजन का संतुलन बना रहता है।
४). किसी भी प्रकार का रोग नही होता , अगर हो भी तो दुर हो जाता है।
५). सभी प्रकार की शारीरीक एवं मानसिक कमजोरी दुर हो जाती है।
६).दिमाग तेज होता है।
७). चेहरे मे चमक आती है ।
८). त्वचा में कसावट आती है ।
मुलतः ब्रम्हामुहूर्त मे जगने से बल , बुद्धी , और आयु बढता है।।
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