जीवन के लिए संजीवनी है पीपल
पीपल को आमतौर पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पेड़ के रुप में जाना जाता है, लेकिन इसके पत्ते , टहनी,छाल, और फल के भी कई सारे फायदे है।
देश के सभी प्रांतों में पाए जाने वाले पीपल के पेड़ से हमें
अनेक तरह के लाभ होते है। एक समय बाद काफी विशाल हो जाने वाले पीपल की छाल घूसर और तना बहुत मोटा होता है।
इसका फल गोल होता है। पीपल सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने के कारण उपयोगी तो है ही, इसकी छाल ,पत्र और फल को भी आयुर्वेद में कई करह से इस्तेमाल किया जाता है।
पीपल के फायदे है अनेक
1). पीपल की छाल का चूर्ण त्वचा रोगों में अत्यंत लाभकारी होता है। छाल की जलीय सत्त कीटाणु एवं क्रिमिनाशक होता है। वही पीपल के पत्तों से युक्त छोटी टहनियों का प्रयोग चर्मरोग से राहत पाने के लिए किया जाता है। इसके चुर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर लगाया जाता है या उबालकर इसके पानी से प्रभावित स्थान को धोना होता है।
2). पीपल के कोमल पत्तों को गेहूं के गीले आटे में पीसकर इसका लेप चर्म सूजन , फोड़े - फुंसी पर लगाने रक लाभ होता है।
3). पीपल के पके हुए फल ह्रदय रोंगो के लिए गुणकारी होते है। ये शीतल, कफ-पित्त, रक्तदोष, विषदोष नाशक गुणों से भी भरपुर होते है।
4). पीपल के पके हुए फलों ह्रदय रोगों के लिए गुणकारी होते है। ये शीतल, कफ - पित्त, रक्तदोष, विषदोश नाशक गुणों से भी भरपुर होते है।
5). पीपल के पके हुए फलों का सेवन करने से बच्चों के तोतलेपन की समस्या में लाभ मिलता है।
6). खाज - खुजली की स्थिति में पीपल की छाल की राख तथा चुना को घी में मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाया जा सकता है।
7). पीपल से स्त्रावित होने वाली लाख कड़वी एवं शीतलकारी होती हैै। इसके सेवन सेे कफ, पित्त, रक््त विकार ,ज्वर आदि नाश होता ।
8). जलने से हुए फोड़ों मेें पीपल की छाल का चुर्ण घी में पकाकर प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलता हैं।
9). पीपल की ताजी टहनी से रोजाना दातुन करने से दांत मजबूत होते है और मसूऱो की सुजन खत्म हो जाती है। मुँह से आने वाली दुर्गंध भी खत्म होती है।
10). स्मरण शक्ति बढाने के लिए पीपल के 5 - 6 ताजा पत्तों को 500 ml दूध मे उबालकर , इसमें पर्याप्त मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिए।