ऊँ के जाप से लाभ
ऊँ की ध्वनि एक ऐसी ध्वनी है, जो स्वतः ब्रम्हाण्ड से निकलती है। बहुत से शोधकर्ताओं का कहना है कि यही ध्वनि सुर्य से भी निकलती रहती है , अपितु ब्रम्हाण्ड के कण - कण से इसे महसुस किया जा सकता है।
जब कोई गहरे ध्यान या समाधी की अवस्था में होता है तब उसे यह एक लयबद्ध तरिके से सुनाई देती है।
बहुत से तथ्य यह साबित करते है कि मानव जीवन के आरंम्भ काल से हि वह इस रहस्मयी ध्वनि का जानते थे,और उन्हें पुरातन काल से ही इसके लाभो का पता था ।
मुलतः ऊँ को सनातन धर्म से जोऱकर देखा जाता है, यह तीन शब्दों से बना है जो निम्न प्रकार है- अ,उ,और म।।
अगर आप किसी ऐसे व्यक्ती को जानते हो जो गुंगा हो तो वह भी यही तीन शब्द बोल सकता है। इस तरह यह भी माना जाता है कि यह मनुष्यों द्वारा बोला जाने वाला प्रथम शब्द था।
ऊँ का वैज्ञानिक विश्लेषन
कई शोधो में यह पता चला है की ऊँ के उच्चारण के कई लाभ होते है, यह उच्चारण वाचिक अथवा मानसिक हो सकता है।वाचिक जप :- इस तरह के जाप को मुहँ से बोल कर किया जाता है ,चाहे धिमे बोल कर अथवा जोऱ से बोल कर। इस प्रकार का जप या उच्चारण कभी भी कही भी किया जा सकता है।।
मानसिक जप :- इस तरह का जाप मन मे बोल के किया जाता है,ध्यान की अव्स्था में ये बहुत लाभदायक होता है।
अवसाद, मानसिक - शारीरिक बेचैनी, क्रोध, हीनता आदि समस्याओं से निबटना है तो ऊँ का जप करे।
शब्द बऱे ताकतवर होते है। अप्रिय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क में काम, क्रोध, मोह, भय, लोभ पैदा करती है,फलस्वरुप रक्त मे विषाक्तता पैदा होने लगती है। इसी तरह मधुर और प्रिय शब्द मन - मस्तिष्क एव रक्त में अम्रत की तरह प्रभाव देते है।
ऊँ शब्द तीन ध्वनियों से बना है।
"अ" चेतना के पहले स्तर को दिखाता है। चेतना के इस स्तर में इन्दिंया बहिर्मुखी होती है, इससे ध्यान बाहरी विश्व की ओर जाता है। चेतना के इस अभ्यास और सही उच्चारण से इन्सान को शारीरिक और मानसिक लाभ मिलता है।
"उ" चेतना के दुसरे स्तर को दिखाता है, इसे तेजस भी कहते है। इसके उच्चारण से ह्रदय ,मन, मस्तिष्क शांत हो जाता हैहै।
म" ध्वनि चेतना के तीसरे स्तर को दिखाता है, जिसे प्रग्या भी कहते है। इसके उच्चारण से साधक के शरीर ,मन , मस्तिष्क ,शांत होकर तनावरहित हो जाता है।
अमेरिका के "Research_institute_of_neurological_science" के प्रमुख प्रोफेसर जे. मॉर्गन और उनके सहयोगियों ने अपने एक अध्ययन में पाया कि "ऊँ" ध्वनि के उच्चारण से पैदा होने वाले कंपन से म्रत कोशिकाएं पुनर्जीवित हो जाती है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इसके उच्चारण से रक्त विकार नही होता है।
एक अन्य अध्ययन में उन्होंने मस्तिष्क और ह्रदय की विभिन्न बीमारियों से पीऱित 2500 पुरुषों और 200 महिलाओं का परिक्छन किया ।।
इनमें उन लोगों को भी शामिल किया गया, जो अपनी बीमारी के अंतिम चरण में थे। इन सभी मरीजों का जीवन बचाने के लिए जरुरी दवाइयां ही जारी रखीं।
रोज सुबह 6-7 बजे इन्हें स्वच्छ वातावरण में योग्य शिक्षकों द्वारा विभिन्न ध्वनियों और आव्रत्तियों में "ऊँ" का जाप कराया गया ।।
चार साल तक ऐसा करने के बाद ,जो निष्कर्ष सामने आए, वे आश्चर्य में डालने वाले थे। 70 प्रतिशत पुरुष और 85 प्रतिशत महिलाओं मे ऊँ का जाप शुरु करने के पहले बीमारियों की जो स्थति थी,उसमें 90% तक की कमी दर्ज की गई।
आप भी रोज सुबह "ऊँ" का जाप कीजिए , जीवन भर स्वस्थ रहिए।।